Categories: Uncategorized

Facial Expression Science मुखाकृती विज्ञान

मुखाकृती विज्ञान (Facial Expression Science) में चेहरे के विभिन्न भावों और उसकी संरचना का अध्ययन किया जाता है। इसे समझने के लिए निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं:

  1. चेहरे की संरचना और परीक्षण:
    • इस विज्ञान में चेहरे की बनावट को समझा जाता है, जैसे कि नाक, आंखें, मुंह आदि का आकार और स्थिति।
    • यह भी देखा जाता है कि किसी व्यक्ति का चेहरा स्वस्थ है या उसमें कोई समस्या है।
  2. चेहरे के अंगों की संरचना और उनकी स्थिति:
    • चेहरे के अलग-अलग अंगों जैसे आंखों, नाक, और मुंह की संरचना का अध्ययन किया जाता है।
    • इसके आधार पर यह जाना जाता है कि चेहरा सही है या उसमें कोई विकृति (दोष) है।
  3. शरीर की आदतें और चेहरे की संरचना:
    • यहां यह समझा जाता है कि व्यक्ति की आदतें, जैसे तनाव या खुशी के कारण, चेहरे पर कैसे असर डालती हैं।
    • चेहरे पर हंसी, गुस्सा या तनाव के भाव कैसे दिखाई देते हैं, इसे समझना बहुत जरूरी है।
  4. हड्डियाँ और मांसपेशियाँ:
    • इस भाग में चेहरे की मांसपेशियों और हड्डियों के बीच संबंध को समझा जाता है, जैसे जब मांसपेशियाँ काम करती हैं तो चेहरे पर क्या बदलाव आते हैं।
  5. चेहरे का निरीक्षण और जीवन शक्ति:
    • चेहरे की स्थिति देखकर हम व्यक्ति की जीवन शक्ति और स्वास्थ्य का अनुमान लगा सकते हैं। जैसे किसी व्यक्ति के चेहरे पर थकान या दर्द के लक्षण दिखना।

रोग का सामान्य अध्ययन:

  1. रोग की परिभाषा:
    • यह भाग यह बताता है कि रोग क्या होता है और इसे कैसे पहचाना जाता है।
  2. रोग के कारण और प्रभाव:
    • रोग किस कारण से फैलते हैं, जैसे संक्रमण, वातावरण या आनुवंशिक कारण।
  3. रोग का विश्लेषण:
    • इस हिस्से में यह देखा जाता है कि रोग के कारण शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  4. स्वास्थ्य और दोष:
    • यह समझा जाता है कि स्वास्थ्य के बिगड़ने पर चेहरा कैसे बदलता है और उसमें कौन से लक्षण होते हैं।
  5. शारीरिक और मानसिक असंतुलन:
    • शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक असंतुलन का असर भी चेहरे पर दिखाई देता है, जैसे तनाव या चिंता के कारण चेहरे पर थकान दिखना।

यह मुखाकृती विज्ञान का सामान्य अध्ययन है, जिसे हम अपने स्वास्थ्य और चेहरे के भावों को समझने के लिए उपयोग करते हैं।

Admin

Recent Posts

महर्षि सुश्रुत का परिचय व योगदान

महर्षि सुश्रुत को "शल्य चिकित्सा का जनक" माने जाते है। उनका जीवन काल और जन्मस्थान…

1 year ago

योग और नेचुरोपैथी के विज्ञापनों पर नियंत्रण: एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण

आयुर्वेद, योग, और नेचुरोपैथी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्रमुख स्तंभ हैं, जिनका इतिहास हजारों वर्ष…

1 year ago

महर्षि पतंजलि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद, झालावाड़ केंद्र के 18 छात्रों की

उपनिदेशक "आयुर्वेद विभाग, जलावाड़, राजस्थान" द्वारा योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति छात्रों में खुशी कि लहर …

1 year ago

महर्षि पतंजलि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा परिषद की छात्रा कल्पना शर्मा योग प्रशिक्षक पद पर नियुक्त

छात्रा का योग प्रशिक्षक के पद पर AHWC,नाटौज (कठूमर) में हुआ चयन राजस्थान: आध्यात्मिकता और…

1 year ago

तनाव प्रबंधन के लिए योग करने का सही तरीका

तनाव प्रबंधन के लिए योग करने का सही तरीका निम्नलिखित है: शांत और आरामदायक जगह…

1 year ago

कोणासन करने कि विधि व लाभ

कोणासन(Konasana) के बारें में: कोणासन एक योगासन है जो शरीर की मजबूती, स्थिरता, और लचीलापन को…

2 years ago

This website uses cookies.