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maharshi Sushurut

महर्षि सुश्रुत को “शल्य चिकित्सा का जनक” माने जाते है। उनका जीवन काल और जन्मस्थान पूर्णतः स्पष्ट नहीं है, उस समय विज्ञान और धर्म के बीच गहरा संबंध था, और चिकित्सा ज्ञान को भी धार्मिक ग्रंथों में समाहित किया जाता था। महर्षि सुश्रुत ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने ज्ञान को “सुश्रुत संहिता” में संकलित किया।

सुश्रुत संहिता भारतीय चिकित्सा विज्ञान के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसमें शल्य चिकित्सा सहित विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों पर विस्तृत जानकारी दी गई है। सुश्रुत संहिता में वर्णित शल्य चिकित्सा की तकनीकें और उपकरण आज भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के लिए आधार हैं।

इस संहिता में लगभग 1200 रोगों का वर्णन है, 700 औषधीय पदार्थों की सूची है, और 300 प्रकार की शल्य प्रक्रियाओं का विवरण है। महर्षि सुश्रुत ने न केवल चिकित्सा प्रक्रियाओं का वर्णन किया है, बल्कि चिकित्सक के नैतिक और आचार संहिता पर भी बल दिया है।

इस ग्रंथ का लेखन काल भी पूर्णतः स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि यह ग्रंथ पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आस-पास लिखा गया था। समय के साथ, इस ग्रंथ की विभिन्न टिप्पणियाँ और व्याख्याएँ भी लिखी गईं, जिससे इसकी जानकारी और भी विस्तृत हो गई।

महर्षि सुश्रुत के योगदान को आज भी विश्वभर में सराहा जाता है, और उनकी शिक्षाएँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं।

 

महर्षि सुश्रुत के योगदान को भारतीय चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उन्होंने विशेष रूप से शल्य चिकित्सा (Surgery), नेत्र चिकित्सा (Ophthalmology), प्रसूति और ग्यनेकोलॉजी (Obstetrics and Gynecology), और अनेक अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण नवाचार किए।

शल्य चिकित्सा (Surgery)

  • शल्य चिकित्सा के जनक: सुश्रुत को अक्सर शल्य चिकित्सा के जनक के रूप में माना जाता है। उन्होंने सुश्रुत संहिता में 300 से अधिक शल्य प्रक्रियाओं का वर्णन किया, जिसमें रक्तस्राव को रोकने, मूत्राशय की पथरी को निकालने, और यहां तक कि प्लास्टिक सर्जरी और रीढ़ की सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाएं शामिल हैं।
  • शल्य उपकरण: उन्होंने 125 से अधिक शल्य उपकरणों का भी वर्णन किया, जिनमें से कई आज भी मॉडर्न सर्जरी में उपयोग किए जाते हैं।

नेत्र चिकित्सा (Ophthalmology)

  • नेत्र चिकित्सा में योगदान: सुश्रुत ने नेत्र विज्ञान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मोतियाबिंद के ऑपरेशन (Cataract surgery) की विधि का वर्णन किया, जो कि आज भी उपयोगी है।

प्रसूति एवं ग्यनेकोलॉजी (Obstetrics and Gynecology)

  • प्रसूति और स्त्री रोगों में योगदान: सुश्रुत संहिता में गर्भावस्था के दौरान की देखभाल, प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल, साथ ही स्त्री रोगों के इलाज के लिए विभिन्न उपचारों का वर्णन है।

अन्य चिकित्सा प्रक्रियाएं

  • अनुषंगिक चिकित्सा प्रक्रियाएं: सुश्रुत ने मस्तिष्क सर्जरी, कान की सर्जरी, और नाक की सर्जरी जैसी विशेषज्ञ चिकित्सा प्रक्रियाओं पर भी प्रकाश डाला है।

सुश्रुत संहिता:

महर्षि सुश्रुत द्वारा रचित  इस ग्रंथ में चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर गहन जानकारी प्रदान की गई है, जो आज भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के लिए प्रेरणादायक है। सुश्रुत संहिता को विशेष रूप से शल्य चिकित्सा (Surgery) के क्षेत्र में एक प्रमुख ग्रंथ माना जाता है।

महत्व

सुश्रुत संहिता में वर्णित ज्ञान न केवल भारतीय चिकित्सा परंपरा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विश्व चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में भी एक अनमोल योगदान है। इस ग्रंथ में शरीर की रचना, विभिन्न रोगों का निदान और चिकित्सा, और विशेषकर शल्य चिकित्सा की विस्तृत प्रक्रियाओं का वर्णन है, जो इसे एक अत्यंत महत्वपूर्ण चिकित्सा पाठ बनाते हैं।

चिकित्सा ज्ञान

  • औषधीय पदार्थ: सुश्रुत संहिता में 700 से अधिक औषधीय पदार्थों का वर्णन है। इनमें विभिन्न जड़ी-बूटियाँ, मिनरल्स, और अन्य प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं, जिनका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है।
  • शल्य उपकरण: इस ग्रंथ में 125 से अधिक शल्य उपकरणों का उल्लेख है, जिनका उपयोग विभिन्न शल्य प्रक्रियाओं में किया जाता था। ये उपकरण आज के कई आधुनिक उपकरणों के पूर्वज माने जा सकते हैं।
  • शल्य प्रक्रियाएं: सुश्रुत संहिता में 300 से अधिक शल्य प्रक्रियाओं का वर्णन है, जिसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, फ्रैक्चर की चिकित्सा, और यहां तक कि मस्तिष्क सर्जरी तक शामिल है। इन प्रक्रियाओं का विस्तार से वर्णन इस ग्रंथ को एक विशेष महत्व प्रदान करता है।

 

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Maharshi Patanjali Yog evm Prakritik Chikitsa Parishad was established in 2007 with the aim to promote the teachings of Yoga and Naturopathy. Maharshi Patanjali Yog evm Prakritik Chikitsa Parishad MPYPCP organization operates in the field of Yoga education, offering various programs and courses for individuals who are seeking to learn about this ancient discipline. Their vision is to spread the benefits of Yoga and Ayurveda to as many people as possible, so that they can improve their physical and mental well-being and lead a healthier and happier life.

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